हिंदी विभाग
Sr. No | Name of the course | Duration | Eligibility | Intake | Year |
---|---|---|---|---|---|
01 | अनुवाद प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम पारूप | अवधी 30 घंटे | 12 वी उत्तीर्ण | 20 | 2019-20 |
02 | प्रयोजनमुलक हिन्दी प्रमाणनपत्रपाठयक्रम | अवधी 30 घंटे | 12 वी उत्तीर्ण | 20 | 2020-21 |
03 | हिंदी पत्रकारिता प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम | अवधी 30 घंटे | 12 वी उत्तीर्ण | 20 | 2021-22 |
04 | मीडिया लेखन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम | अवधी 30 घंटे | 12 वी उत्तीर्ण | 20 | 2022-23 |
1) अनुवाद प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम पारूप
स्नातक स्तर पर अनुवाद का प्रमाण पत्र पाठयपुस्तक भारतीय भाषाओं तथा अंग्रेजी हिंदी से अनुवाद तकनीकी
कौशल्य निर्माण के उदेश को केंद्रित करके तैयार किया गया है । भारत जैसे विशाल बहुभाषिक , राष्ट्र के लिए अनुवाद
एक महत्वपुर्ण सेतू का कार्य करता रहा है । देश की भाषिक , सांस्कृतिक , साहित्यिक इत्यादि विविधता एकरूपता के
लिए अनुवाद की अनिवार्यता है । इस भाव के केंद्र में रखते हुऐ साहित्यिक , वाणिज्यिक , शासण , प्रशासन के
अनुवादों की आवश्यकता निरंतर बन रही है । इस कमी को पूर्ण कराने के लिए अनुवाद की अनिवार्यता सिद्ध हो
जाती है । वर्तमान समय में विभिन्न अनुवाद ज्ञान को रुपांकित रूप में अदान प्रदान कराने हेतू एवं विविध रोजगार
की संभावनाओं को दृष्टी में रखते हुए यह पाठयक्रम विद्यार्थी यों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा
1) भारत के बहुभाषिक परिवेश में भाषिक निर्माण द्वारा ज्ञान को समृद्ध करना ।
2) वर्तमान जागतीकरण के परिवेश में अनुवाद की उपयोगिता और महत्व को समझाते हुए उसकी अवश्यकता की
प्रतिपुर्ती करना । अनुवाद प्रक्रिया , प्रविधि से रिचित कराते हुए विद्यार्थीयों को अनुवाद तकनीकी कौशल का निर्माण
करना अनुवाद के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्द रोजगार के साथ रोजगार के योग्य कौशल निर्माण करना । अनुवाद के
माध्यम से साहित्य , व्यापार प्रशासन शासन क्षेत्र अनुवाद को समृद्ध कर विद्यार्थीयों को प्रवीण करना
अवधी 30 घंटे ( Duration : 30 hours )
प्रश्न पत्र हेतू लिखित : बहुपर्यायी प्रश्न पत्र अवधी ( 1 घंटा )
पाठ्यक्रम , परीक्षा निशुल्क
किसी भी शाखा का छात्र प्रवेशिर हो सकता है |
स्नातक एवम १२ वी उत्तीर्ण |
युनिट - 1) ( कुल व्याख्यान -15 )
१. अनुवाद : अर्थ , परिभाषा और स्वरूप
२ कला , शिल्प अथावा विज्ञान
३. आवश्यकता महत्व और उपायदेयता
युनिट युनिट - 2) ( कुल व्याख्यान 15 )
१- अनुवाद प्रक्रिया एवं सिद्धान्त
२- प्रकार ( शब्दिक अनुवाद , भावानुवार , सरानुवाद साहित्यिक अनुवाद , साहित्येतर अनुवाद , वैज्ञानिक एवं
तकनीकी अनुवाद , कंप्युटर आधारित अनुवाद )
भारत में अनुवादक की जरूरत सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों को ही है और आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ने की उम्मीद है. आज बाजारवाद के इस दौर में हम translation के क्षेत्र मे रोजगार के कई विकल्प देख सकते है. इस लेख में हम भारतीय परिपेक्ष को ध्यान में रखते हुए हिंदी से अंग्रेजी और अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद के सम्बन्ध में बात कर रहे है लेकिन अनुवाद किसी भी दो भाषाओ के बीच हो सकता है. भारत के सभी बैंको में भी अनुवादक की पोस्ट होती है जो की वाणिज्य से जुडी सभी नीतियों और नियमो का अनुवाद करते है इसके अलावा कोर्ट में भी अनुवादक के लिए रोजगार के विकल्प मौजूद है जो क़ानूनी मामलों का translation करते है
1) अनुवाद चिंतन अर्जून चौहान अयन प्राशन कानपुर १९९८
2) आहित्यनुवाद संवाद संवेदना वाणी प्रकाशन नई दिल्ली १९९५
3) अनुवाद विज्ञान नगेंद्र दिल्ली विश्वविद्यालय १९९३
4) अनुवाद विज्ञान की भूमीका राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली २०१९
5) अनुवाद कला विश्वनाथ अय्यट संजीव कुमार जैन भोपाल २००९
6) अनुवाद सिद्धांत एवं व्यवहार संजीव कुमार जैन- भौपाल २००७
7) हिंदी भाषा एवं भाषा शिक्षण प्रा . डॉ . चव्हाण व्हि.पी. वाणी पब्लीकेशन कानपुर
8) हिंदी कौशल विकास प्रा . डॉ . व्यंकट चव्हाण वान्या पबलीकेशन २०१ ९
2) प्रयोजनमुलक हिन्दी प्रमाणनपत्रपाठयक्रम
प्रयोजनमूलक हिन्दी का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भारतीय भाषाओं को तकनीकी कौशल निर्माण के उद्देश्य को केंद्रीत करके तैयार किया गया है । प्रयोजनमूलक हिन्दी
आज इस देश में बहुत बड़े फलक और धरातल पर प्रयुक्त हो रही है । केंद्र और राज्य सरकारों के बिच संवादों का केंद्र पुल बनाने में आज इसकी महती भूमीका को नकारा नहीं जा सकता। आज इसने एक और कम्प्यूटर,
टेलेक्स, तार, इलेक्ट्रॉनिक, टेलीप्रिंटर, दुरदर्शन, रेडियो, डाक, फिल्मे और अखबार विज्ञापन आदि जनसंचार के माध्यमों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, तो वही दुसरी ओर उद्योग शयर बाजार रेल, हवाई जहाज बीमा
उदयोगबँक आदि ओछ्योगिक उपक्रमों रक्षा, सेना, औद्योगिक प्रौद्योगिइन्जिनियरिंग आदि प्रोद्योगिकीसंस्थानो, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों, आयुर्विज्ञान, कृषी, चिकीत्सा शिक्षा ए.एम. आई. के साथ विभिन्न संस्थाओं में हिन्दी माध्यम से
प्रक्षिक्षण दिलाने अनुशाससीत वर्तमान समय में विभिन्न अंतरानुशासनिक ज्ञान का सिमांकित रूप में आदान प्रदान हेतूरोजगा तथा विविध रोजगार की संभावनाओं को दृष्टी में रखते हुए पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा ।
१. सुयोग्य तथा परिपुर्णदुभाषियों को तैयार करना जो शासन संचालन तथा समाज की सेवा कर सकें।
२. विभीन्न भाषाओं के मध्य संपर्क सेतु का कार्य करना
२- भाषा के विभिन्न रूपों शैलियों की जानकारी देना
३. हिन्दी के द्वारा आदर्श अनुवादक तैयार करना
४- भारत के बहुभाषिकपरिवेशक में भाषिक कौशल निर्माण द्वारा अंतरानुशासनिक ज्ञान को समृद्ध करना
अवधी 30 घंटे ( Duration : 30 hours )
अंक ५० |
पाठ्यक्रम , परीक्षा निशुल्क
किसी भी शाखा का छात्र प्रवेशिर हो सकता है |
स्नातक एवम १२ वी उत्तीर्ण |
१) सूचना प्रौद्योगिकी में नौकरी प्राप्त कराना।
२) विद्यापन कला को सिखकर विद्यापनों के द्वारा अर्थाजन करना।
३) सरकार के जनअधिकारी पद पर कार्य करने हेतू छात्रों को तैयार करना।
४) विविध जनसंचार माध्यम का परिचय होने से उसके लेखन के द्वारा नौकरी प्राप्त करना।
५) सामाजिक मूल्यों की स्थापना में मदत करना।
(कुल व्याख्यान १० )
किसी भी शाखा का छात्र प्रवेशिर हो सकता है |
स्नातक एवम १२ वी उत्तीर्ण |
युनिट - 1
1) प्रयोजनमूलक भाषा का अर्थ
2) प्रयोजनमूलक हिन्दी नामकरण. प्रयोजनमूलक हिन्दी की परिभाषा
3) प्रयोजनमूलक हिन्दी की विशेषताएं.
4) प्रयोजनमूलक हिन्दी की व्याप्ती
5) प्रयोजनमूलक हिन्दी के विविध रूप
युनिट - 2
जनसंचार का अर्थ
जनसंचार की परिभाषाएँ जनसंचार के माध्यम
१- परम्परागत माध्यम
२- आधुनिक माध्यम
युनिट - 3
विज्ञापन का अर्थ
विज्ञापन की विशेषताएँ
विज्ञापन लेखन की प्रक्रिया
विज्ञापन लेखन कि विशेषताएँ
विज्ञापन लेखन संरचना / अंग
विज्ञापण के प्रकार
प्रयोजन मूलक हिंदी के पाठ्यक्रम को पूरा करने पर हिंदी न केवल एक भाषा बल्कीअर्थेापार्जन का जरिया है। इस भाषा में पारंगततासे न सिर्फ शैक्षणिक क्षेत्र बल्कि निजी सेक्टर विशेष रुप से फिल्म एवं टेलीविजन सेक्टरमे भी अपार संभावनाएं हैं। इसके अलावा रेडियो और आकाशवाणी मैं भी हिंदी भाषा के जानकारों की जरुरत सदैव रहती है। भारत मैं हिंदी मीडिया मैं भी काफी रोजगार उपलब्द है ।
1) प्रयोजनमूलक हिन्दी तथा भाषा कम्यूटिंग- डॉ. जमादार ए. एच. / प्रा. जान अहेमद
2) हिन्दी कौशल विकास डॉ. व्यंकटचव्हाण (नाईक).
3) हिन्दी भाषा एवं भाषा शिक्षण- डॉ. व्यंकटचव्हाण (नाईक)
4) प्रयोजनमूलक हिन्दी अम्बादासदेशमुख
5) प्रयोजनमूलक हिन्दी केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा
6) व्यावहारिक हिन्दी, गौतम कुमार कौशल.
3) हिंदी पत्रकारिता प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम
भारत लोकतंत्र प्रधान देश है। यह लोकतंत्र चार ख़बरें पर खड़ा है। जिनमे कानून मंडल कार्यकारी मंडल , न्यायमंडल और चौथा है जनसंचार माध्यम जिनसंचार माध्यमों में भी अनेक जनसंचार माध्यम आते हैं। जिसमें प्रिंट जनसंचार माध्यम और इलेक्ट्रॉनिक जनसंचार माध्यम को महत्त्वपूर्ण मन जाता है। प्रिंट जनसंचार माध्यम में सर्वाधिक महत्त्व पत्रकारिता का है।
हिंदी पत्रकारिता भारतीय जीवन की एक जिवंत सच्चाई है विर्तमान के कटू यथार्थ से पाठकों की मुठभेड ही नहीं कराती है बल्कि एक सूचनात्मक खुराक भी प्रदान कराती हैं। देश की समसामयिक घटनाओं की जानकारी घटनाओं का उतार - चढ़ाव , स्थितियों की बनती बिगड़ती स्थिति सरकारी , गैर सरकारी नितियों की सार्थकता आम आदमी को पत्र की दुनिया से जोड़ने के लिए विवश करती ही है , दिशानिर्देश भी देती है। सच्ची पत्रकारिता का मतलब जनसेवा एवम समाजसेवा में ही सार्थक सिध्द होता है।
पत्रकारिता का महत्त्व वर्तमान समाज में ध्यान में रखकर हिंदी पत्रकरिता का अर्थ , परिभाषा , प्रकार , हिंदी पत्रकारिता का इतिहास इसे छात्रों के सामने रखना महत्त्वपूर्ण है। समाचार लेखन करना भी एक कला है संपादक के गुण और अन्य जानकारी छात्रों को कराना वैसे ही इसके साथ साथ अन्य जनसंचार के माध्यमों का परिचय कराना ही ध्यान में रखकर यह पत्रकारिता प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम को रखा गया है।
इस पाठ्यक्रम को रखने के उद्देश निम्न प्रकार से बताये जा सकते है
१) लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए गुणी पत्रकारों का निर्माण करना।
२) पत्रकार का वर्तमान समय में महत्त्व ध्यान में लाके देना।
३) अच्छे पत्रकार के गुणों की चर्चा करना।
४) पत्रकार को समाचार लेखन में किन्ह बातों को ध्यान देना चाहिए वह ध्यान में लाकर दे देना।
५) पत्रकारिता क्षेत्र में विद्यापन लेखन की कला से अवगत करना।
१) सूचना प्रौद्योगिकी में नौकरी प्राप्त कराना।
२) विद्यापन कला को सिखकर विद्यापनों के द्वारा अर्थाजन करना।
३) सरकार के जनअधिकारी पद पर कार्य करने हेतू छात्रों को तैयार करना।
४) विविध जनसंचार माध्यम का परिचय होने से उसके लेखन के द्वारा नौकरी प्राप्त करना।
५) सामाजिक मूल्यों की स्थापना में मदत करना।
अंक ५० |
अवधी 30 घंटे ( Duration : 30 hours )
व्याख्यान प्रश्नपत्र हेतु ( ३० ) Lectures
पाठ्यक्रम , परीक्षा निशुल्क
किसी भी शाखा का छात्र प्रवेशिर हो सकता है |
स्नातक एवम १२ वी उत्तीर्ण |
1) हिंदी पत्रकारिता अर्थ , परिभाषा , प्रकार, पत्रकारिता मिशन से पेशा टाक हिंदी पत्रकरिता का संक्षिप्त इतिहास कुल व्याख्यान १०
2) समाचार लेखन कला संपादक का दायित्व और गुण , संपादकीय
3) जनसंचार माध्यम , जनसंचार की भाषा विज्ञापन लेखन , पृष्ठ सज्जा । ( कुल व्याख्यान - १० )
पत्रकारिता में का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, कोई भी व्यक्ति किसी मीडिया अनुसंधान संस्थान या किसी सरकारी संगठन में एक अनुसंधान वैज्ञानिक बन सकता है। अनुसंधान कार्य के दौरान भी कोई व्यक्ति अन्य अनुदानों तथा सुविधाओं के अतिरिक्त, मासिक वृत्तिका प्राप्त कर सकता है। कोई भी व्यक्ति किसी समाचारपत्र में या इलेक्ट्रॉनिक चैनल में एक पत्रकार के रूप में कार्यग्रहण कर सकता है और अच्छा वेतन अर्जित कर सकता है।
1) पत्रकारिता और जनसंचार के माध्यम - प्रा . डॉ . आर.एम. जाधव क्रिएटिव पब्लिकेशन्ज , दिपनगर , नांदेड -अगस्त २०१०
2) हिंदी पत्रकारिता का स्वरूप -डॉ . यू.सी. गुप्ता प्रकाशक -अर्जुन पब्लिशिंग हाऊस , प्रल्हाद बाली अन्सारी रोड , दरियागंज -२००२
3) पत्रकारिता परिवेश और प्रवृत्तीया- डॉ . पृथ्वीराज पांडे , लोक भारती प्रकाशन , अलाहाबाद
4) पत्रकारिता विमर्श डॉ . रमेश वर्मा समवेत प्रकाशन ,
5) साहित्यिक पत्रकारिता और संपादकीय पुष्ट लेखन पचौरी , जवाहर पुस्तकालय , सदर बाजार , मथुरा (उ.प्र .) २०० ९ न . कानपूर C राजनाथ सिंह सूर्य प्रकाशक गोविंद
4) मीडिया लेखन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम
मीडिया के मुख्य कार्य हैं , वास्तविकता के मुद्दों पर समाज को शिक्षित और सूचित करना और मनोरंजन करना। यह मीडिया को समाज के व्यक्तियों के लिए सांस्कृतिक विकास में योगदान देता है। समाज और दुनिया में होने वाले
घटनाओं और स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान करना।
समाज में मीडिया की भूमिका संचार की होती है। वह समाज के विभिन्न वर्गों, सत्ता केंद्रों, व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच पुल का कार्य करता है। आज के युग में मीडिया लेखन का सामान्य अर्थ समाचार पत्र, पत्रिकाओं, टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट आदि से लिया जाता है। किसी भी देश की उन्नति व प्रगति में मीडिया का बहुत बड़ा योगदान होता है।मीडिया जनसंचार का सबसे बड़ा स्रोत है । मीडिया हमारे समाज में सबसे अधिक सूचनात्मक भूमिका निभाता है। यह जनसंचार की मुख्य बात है। इसके विभिन्न रूप हैं, जैसे कि इंटरनेट, जिसके माध्यम से हम केवल एक उंगली के क्लिक के साथ दुनिया के बारे में अद्यतन समाचार प्राप्त कर सकते हैं।भारत के संचार माध्यम (मीडिया) के अन्तर्गत टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, तथा अन्तरजालीय पृष्ठ आदि हैं। वर्तमान समय में मीडिया लेखन आदि बातों से छात्रो को अवगत करना है।
1) मीडिया लेखन का सामान्य अर्थ समाचार पत्र-पत्रिकाओं, टेलीविजऩ, रेडियो, जनसंचार के विभिन्न स्वरूप समाचार लेखन सिद्धांत और व्यवहार इंटरनेट आदि से लिया जाता है। मीडिया के लिए लेखन, साहित्यिक लेखन से अलग है।
पत्रकारिता के पाठक या दर्शक वर्ग की समझ साहित्यिक पाठक वर्ग की तुलना में कहीं ज्यादा सामान्य होती इन बातों से अवगत कराना।
2) भारत मे बहुभाषिक परिवेश मे मीडिया लेखन का महत्व बताना
3) वर्तमान जागतीकरण के परिवेश मे मीडिया लेखन के महत्व एवं उपयोगीता की आवश्यकता प्रति पूर्ती करना।
4) मीडिया के विभिन्न क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार के साथ रोजगार के कौशल्य का निर्माण करना।
5) मीडिया लेखन के माध्यम के साथ साहित्य, व्यापार, शिक्षा, शासकीय प्रशासन आदि क्षेत्र में मीडिया लेखन को समृद्ध करना।
अवधी 30 घंटे ( Duration : 30 hours )
लिखित बहुपर्यायी प्रश्न अवधी एक घंटा:
पाठ्यक्रम , परीक्षा निशुल्क
किसी भी शाखा का छात्र प्रवेशिर हो सकता है |
स्नातक एवम १२ वी उत्तीर्ण |
अंक ५० |
युनिट 1(कुल व्याख्यान15)
अ) जनसंचार परिभाषा एवं स्वरूप, विभिन्न रूप, संचार भाषा
ब) समाचार लेखन सिध्दांत और व्यवहार, स्वरूपगत विशेषताएँ, समाचार लेखन प्रविधि ।
युनिट 2 (कुल व्याख्यान 15)
क) रेडिओ आकाशवाणी के कार्यक्रम एवं उपयोगिता दूरदर्शन दूरदर्शन के विभिन्न कार्यक्रम तथा दूरदर्शन की उपयोगिता इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सामाजिक मीडिया।
ड) फिल्म पत्रकारिता - परिभाषा, स्वरूप, चलचित्र के लाभ, फोटो पत्रकारिता स्वरूप, आकर्षण भाषा। इस प्रकार युनिट 1 और युनिट 2 पाठ्य पर 50 अंक का प्रश्न पत्र होगा । मीडीया का आज के युग में
बढता हुआ प्रभाव को देखते हुए, छात्रो का मीडिया लेखन के ज्ञान में अभिवृदिध हो यह उद्देश इस पाठ्यक्रम का है।
मीडिया के बढ़ते आयाम को देखते हुए मीडिया में रोजगार के भी अवसर दिनोदिन बढ़ते जा रहे हैं। प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बाद नये जमाने का न्यू मीडिया का विस्तार दिनों-दिन होता जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में वेब संस्करण से इसमें रोजगार के नये अवसर भी बढ़ते जा रहे हैं। आज भारत देश युवाओं को रोजगार देना देश के लिए एक चुनौती बन गयी है। इसी बेरोजगारी की चुनौती को खत्म करने का प्रयास करते हुए नयेउद्यमियों व युवाओं के लिए मीडिया के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की संभावनाओं के साथ कई पदों पर नौकरियां भी हैं। मीडिया में नये पदों पर युवाओं को रोजगार देने में इलेक्ट्रॉनिक व िशेष भूमिका निभा रहा है। मीडिया में, विशेष कर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रोजगार के अवसर पर प्राप्त हारे सकते है।
1) मीडिया और हिंदी - डॉ. मधु खराटे - डॉ. हानमंत पाटील -प्रा. राजेंद्र सोनवणे
2) संचार और पत्रकारिता के विविध आयाम - ओम प्रकाश सिंह (2004)
3) पत्रकारिता और जनसंचार के माध्यम – डॉ. आर.एम. जाधव, डॉ. एस एल मुनेश्वर, डॉ. संगीता शुक्ला, प्रा .अर्चना पत्की, अगस्त (2010)
4) संचार माध्यम लेखन - गौरीशंकर रेना (2006)
5) समाचार फीचर लेखन एवं संपादन कला - डॉ हरिमोहन चतुर्थ संस्करण (2007)
6) जनसंचार माध्यमे हिंदी - चंद्रकुमार (2007)
7) जनसंचार एवं पत्रकारिता - कुमारी शिप्रा प्रथम संस्करण (2008)